गाँव की याद में ग्रामाीण विकास के लिए समर्पित !
गाँव की याद में ग्रामाीण विकास के लिए समर्पित !
श्री श्री रविशंकर आधुनिक युग के एक महान आध्यात्मिक गुरु हैं जिन्होंने योग, ध्यान, सेवा और सकारात्मक जीवन शैली के माध्यम से दुनिया भर में शांति का संदेश फैलाया। वे केवल धार्मिक नेता नहीं, बल्कि एक ऐसे मार्गदर्शक हैं जिन्होंने मानसिक स्वास्थ्य, आत्म-चिंतन, और सामाजिक उत्थान की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। आज उनका नाम आर्ट ऑफ लिविंग संस्था के साथ जुड़ा है, जो विश्व भर में लाखों लोगों के जीवन में बदलाव लाने का कार्य कर रही है।
यहाँ हम उनके जीवन की पूरी यात्रा, उनके संदेश, संस्थान की गतिविधियाँ, और उनकी वैश्विक पहचान पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
श्री श्री रविशंकर का जन्म 13 मई 1956 को दक्षिण भारत के तमिलनाडु में एक आध्यात्मिक वातावरण वाले परिवार में हुआ। उनका असली नाम रविशंकर है, परंतु समय के साथ लोग उन्हें श्रद्धा से “श्री श्री रविशंकर” कहने लगे। बचपन से ही उनमें ध्यान और अध्यात्म के प्रति गहरी रुचि दिखाई दी। वे बहुत कम उम्र में ही वेद, उपनिषद, योग और ध्यान का अध्ययन करने लगे।
मात्र चार साल की उम्र में उन्होंने मंत्र जाप और ध्यान में महारत हासिल कर ली थी। उनके माता-पिता ने उनके इस झुकाव को प्रोत्साहित किया और उन्हें संतों, ऋषियों और विद्वानों से जोड़ने का प्रयास किया। धीरे-धीरे वे आत्म-अनुशासन, सेवा और ध्यान के मार्ग पर अग्रसर हुए।
किशोरावस्था में उन्होंने विभिन्न आध्यात्मिक गुरुओं से संपर्क किया और ध्यान की विभिन्न विधियों का अध्ययन किया। वे मानते हैं कि आध्यात्मिकता केवल पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानसिक शांति, आत्म-जागरूकता और सामाजिक सेवा का आधार है।
उन्होंने योग, प्राणायाम और ध्यान की वैज्ञानिक दृष्टि से व्याख्या की। इस कारण उनका दृष्टिकोण आधुनिक जीवन के लिए व्यावहारिक और उपयोगी माना गया। वे कहते हैं कि “जीवन में उतार-चढ़ाव आते हैं, लेकिन संयम, ध्यान और सकारात्मक सोच से मन को स्थिर रखा जा सकता है।”
1981 में उन्होंने आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन की स्थापना की। इसका उद्देश्य था – तनाव मुक्त और हिंसा मुक्त समाज का निर्माण। संस्था ने ध्यान और योग के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य, आत्मविश्वास, और सामाजिक सेवा को बढ़ावा दिया।
आर्ट ऑफ लिविंग का प्रमुख कार्यक्रम सुदर्शन क्रिया है, जो एक विशेष श्वास तकनीक है। यह तकनीक न केवल मानसिक तनाव को दूर करने में मदद करती है, बल्कि शरीर की ऊर्जा को संतुलित करती है।
इस संस्था ने शिक्षा, स्वास्थ्य, आपदा राहत, नशा मुक्ति, पर्यावरण संरक्षण, और महिलाओं के सशक्तिकरण जैसे कई क्षेत्रों में कार्य करके समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास किया है।
श्री श्री रविशंकर की शिक्षाओं का सबसे प्रभावशाली हिस्सा है सुदर्शन क्रिया। इसमें विभिन्न प्रकार की श्वास तकनीकें शामिल हैं, जो मन और शरीर को शांत करती हैं। इसका नियमित अभ्यास निम्नलिखित लाभ देता है:
· मानसिक तनाव और चिंता कम होती है
· नींद की गुणवत्ता बेहतर होती है
· रक्तचाप नियंत्रित होता है
· भावनात्मक संतुलन बना रहता है
· आत्म-विश्वास बढ़ता है
वे बताते हैं कि श्वास का सही तरीके से अभ्यास करने से मन की अशांति और नकारात्मक विचारों पर नियंत्रण पाया जा सकता है। यह ध्यान का ऐसा तरीका है जो वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी लाभकारी है।
श्री श्री रविशंकर की शिक्षाएँ कठिन दार्शनिक बातों की बजाय सरल और व्यवहारिक हैं। वे कहते हैं:
1. ध्यान करें – प्रतिदिन ध्यान से मन शांत होता है।
2. सेवा करें – बिना किसी स्वार्थ के समाज की मदद करें।
3. आत्म-निरीक्षण करें – अपने विचारों और भावनाओं को समझें।
4. सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएँ – कठिन परिस्थितियों में भी मुस्कुराते रहें।
उनकी शिक्षाएँ युवाओं, गृहिणियों, व्यवसायियों और बुज़ुर्गों सभी के लिए उपयोगी हैं। वे ध्यान को दैनिक जीवन का हिस्सा बनाकर जीवन को संतुलित और खुशहाल बनाने की प्रेरणा देते हैं।
श्री श्री रविशंकर का कार्य विश्व भर में मान्यता प्राप्त है। उन्हें अनेक अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आमंत्रित किया गया। संयुक्त राष्ट्र, विश्व आर्थिक मंच और विभिन्न शांति सम्मेलनों में उनके विचारों को सराहा गया।
उन्हें निम्नलिखित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया:
पद्म विभूषण – भारत सरकार द्वारा
राइट लाइवलीहुड अवार्ड – शांति और सेवा के क्षेत्र में योगदान के लिए
अनेक देशों द्वारा शांति दूत के रूप में सम्मान
उनकी संस्था आज 150 से अधिक देशों में सक्रिय है। लाखों लोग उनके कार्यक्रमों में भाग लेते हैं और ध्यान का लाभ प्राप्त कर रहे हैं।
श्री श्री रविशंकर की प्रेरणा से युवाओं में आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता और मानसिक मजबूती का विकास हो रहा है। उनके कार्यक्रम स्कूलों और कॉलेजों में आयोजित किए जाते हैं ताकि बच्चे तनाव और परीक्षा के दबाव से उबर सकें।
उन्होंने महिलाओं के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए हैं, जिससे वे आर्थिक और मानसिक रूप से मजबूत बन सकें। साथ ही नशा मुक्ति अभियान, पर्यावरण संरक्षण अभियान और आपदा राहत कार्यों में भी उनकी संस्था अग्रणी भूमिका निभा रही है।
आज भी वे दुनिया भर में यात्रा करके ध्यान शिविर, सेमिनार, ऑनलाइन प्रशिक्षण और सेवा कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। उनकी संस्था शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए कई परियोजनाएँ चलाती है।
उनकी शिक्षाएँ न केवल आध्यात्मिक विकास में मदद करती हैं, बल्कि समाज में शांति, सहयोग और प्रेम का वातावरण बनाने में सहायक हैं। वे धर्म, जाति और राष्ट्र की सीमाओं से ऊपर उठकर मानवता की सेवा में विश्वास करते हैं।
श्री श्री रविशंकर का जीवन एक प्रेरणा है। उन्होंने सिद्ध कर दिया है कि आध्यात्मिकता केवल मंदिर या पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य, सेवा, शिक्षा और सकारात्मक जीवन शैली से जुड़ी हुई है।
आर्ट ऑफ लिविंग, सुदर्शन क्रिया, ध्यान और योग के माध्यम से उन्होंने लाखों लोगों को तनाव मुक्त जीवन जीने की राह दिखाई है। उनका संदेश सरल है – “शांत मन, स्वस्थ शरीर और सेवा भाव से भरा जीवन ही सच्ची आध्यात्मिकता है।”
जो भी व्यक्ति जीवन में मानसिक शांति और सकारात्मकता चाहता है, उसके लिए श्री श्री रविशंकर की शिक्षाएँ एक अनमोल मार्गदर्शन प्रदान करती हैं।