गाँव की याद में ग्रामाीण विकास के लिए समर्पित !
गाँव की याद में ग्रामाीण विकास के लिए समर्पित !
आधुनिक युग में जब जीवन भागदौड़ और तनाव से भरा हुआ है, तब लोग सच्चे ज्ञान और आध्यात्मिक मार्गदर्शन की तलाश में रहते हैं। ऐसे समय में आचार्य प्रशांत जी ने अपने अद्वितीय विचारों, सत्य की निर्भीक व्याख्या और प्राचीन ग्रंथों की गहरी समझ से लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। वे न केवल एक आध्यात्मिक गुरु हैं, बल्कि एक सामाजिक सुधारक और विचारक भी हैं।
आचार्य प्रशांत जी का जन्म 7 मार्च 1978 को उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में हुआ। बचपन से ही वे एक गंभीर, जिज्ञासु और ज्ञान-प्रेमी व्यक्तित्व के धनी रहे।
· वे अक्सर जीवन के गहरे प्रश्नों पर विचार करते रहते थे।
· बचपन से ही उनका झुकाव अध्यात्म, दर्शन और मानव जीवन के रहस्यों की ओर था।
उनके माता-पिता ने उन्हें अच्छे संस्कार और शिक्षा दी, जिसने आगे चलकर उनके विचारों की नींव रखी।
आचार्य प्रशांत जी की शिक्षा अत्यंत उत्कृष्ट रही।
· उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT दिल्ली) से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।
· इसके बाद उन्होंने भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM अहमदाबाद) से प्रबंधन (MBA) की पढ़ाई की।
शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने कुछ वर्षों तक कॉरपोरेट क्षेत्र में कार्य किया। लेकिन उनका हृदय हमेशा जीवन के गहरे प्रश्नों के उत्तर खोजने में ही लगा रहा। अंततः उन्होंने भौतिक सफलता का मार्ग छोड़कर आध्यात्मिक और सामाजिक सेवा का मार्ग अपनाया।
आचार्य प्रशांत जी ने गीता, उपनिषद, वेद, और अन्य शास्त्रों का गहन अध्ययन किया। उनका कहना है कि ज्ञान केवल पढ़ने के लिए नहीं, बल्कि जीने के लिए है। उनका आध्यात्मिक दृष्टिकोण किसी विशेष धर्म या संप्रदाय से जुड़ा नहीं है। वे सीधे-सीधे जीवन की सच्चाई पर बात करते हैं और लोगों को स्वयं सोचने, समझने और प्रश्न पूछने के लिए प्रेरित करते हैं।
आचार्य प्रशांत जी ने “प्रशांतअद्वैत फाउंडेशन” और “आचार्य प्रशांत संगठन” की स्थापना की।
इन संस्थाओं का उद्देश्य है:
· वेद, उपनिषद, गीता और अन्य ग्रंथों का आधुनिक भाषा में प्रचार-प्रसार।
· युवाओं को जीवन की सच्चाई और आत्म-चिंतन के लिए प्रेरित करना।
· समाज में पशु-कल्याण, पर्यावरण संरक्षण और नैतिक मूल्यों का प्रसार करना।
उनकी संस्था के माध्यम से हजारों ऑनलाइन और ऑफलाइन कार्यक्रम, ध्यान सत्र और शास्त्र अध्ययन के कोर्स चलाए जाते हैं।
आचार्य प्रशांत जी की शिक्षाएँ आधुनिक जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी और प्रासंगिक हैं। वे कहते हैं:
· सत्य को जियो, केवल पढ़ो मत।
· धर्म का अर्थ कर्म और करुणा है, न कि अंधविश्वास।
· जीवन में स्पष्टता और ईमानदारी ही सच्ची आध्यात्मिकता है।
· शास्त्रों का अध्ययन तभी उपयोगी है जब हम उन्हें व्यवहार में उतारें।
· पशु-प्रेम और पर्यावरण संरक्षण भी आध्यात्मिक साधना का हिस्सा हैं।
आज आचार्य प्रशांत जी केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं।
· उनके यूट्यूब चैनल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लाखों अनुयायी हैं।
· उनकी लिखी हुई कई किताबें और ग्रंथ-व्याख्याएँ प्रकाशित हो चुकी हैं।
· “यथार्थ गीता”, “उपनिषद वार्ता”, और “धर्म का अर्थ” जैसे उनके प्रवचन श्रृंखलाएँ विशेष रूप से लोकप्रिय हैं।
· युवा, विद्यार्थी, प्रोफेशनल्स और गृहस्थ सभी उनके विचारों से प्रेरणा लेते हैं।
आत्म-जागरूकता और आध्यात्मिक स्पष्टता: फाउंडेशन का मुख्य लक्ष्य लोगों को आत्म-ज्ञान और सत्य की ओर ले जाना है, ताकि वे जीवन को पूर्णता से जी सकें।
तर्कसंगतता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण: यह झूठ और भ्रांतियों को चुनौती देता है और जीवन के प्रति एक तर्कसंगत, वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है।
नैतिक जीवन और स्थिरता: फाउंडेशन नैतिक जीवन शैली, पर्यावरणीय स्थिरता और अंधविश्वासों के उन्मूलन की वकालत करता है।
ज्ञान का वितरण: इसका उद्देश्य सर्वोच्च ज्ञान को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना है, जिसमें प्राचीन ग्रंथों जैसे भगवद गीता और उपनिषद का सरल भाषा में अनुवाद शामिल है।
पशु कल्याण: फाउंडेशन पशु अधिकारों का भी समर्थक है और पशु कल्याण के लिए कार्य करता है।
· उन्होंने पशु हत्या और मांसाहार के विरोध में कई अभियान चलाए।
· प्लास्टिक और प्रदूषण के खिलाफ जागरूकता फैलाई।
· वे लोगों को जीवन में नैतिकता, करुणा और सेवा का भाव अपनाने की शिक्षा देते हैं।
आज आचार्य प्रशांत जी अपने संगठन के माध्यम से ऑनलाइन और ऑफलाइन हजारों लोगों को शिक्षित और प्रेरित कर रहे हैं। उनके प्रवचन यूट्यूब, फेसबुक और वेबसाइट पर मुफ्त उपलब्ध हैं, ताकि हर कोई उनसे लाभ उठा सके।
उनकी जीवन यात्रा यह साबित करती है कि सच्ची शिक्षा केवल डिग्री या नौकरी तक सीमित नहीं है, बल्कि आत्मज्ञान और सेवा में है।
आचार्य प्रशांत जी आधुनिक समय के एक ऐसे आध्यात्मिक गुरु हैं, जिन्होंने गीता, उपनिषद और वेदों की शिक्षाओं को सरल और व्यवहारिक भाषा में लोगों तक पहुँचाया। उनका जीवन यह संदेश देता है कि भौतिक सफलता से अधिक महत्वपूर्ण है — सत्य की खोज और आत्मज्ञान।उनका संगठन और शिक्षाएँ आज लाखों लोगों के लिए जीवन का मार्गदर्शन बन चुकी हैं।