भारत में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बुनियादी ढांचे में गुणवत्ता, पहुंच और विकास के मामले में महत्वपूर्ण असमानताएं हैं। निम्नलिखित तथ्यों और आंकड़ों के माध्यम से इस अंतर को समझा जा सकता है:
1. स्वास्थ्य सुविधाएं:
डॉक्टरों की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में सर्जन डॉक्टरों की लगभग 83% कमी है, जबकि बाल रोग विशेषज्ञों की 81.6% और फिजिशियन की 79.1% कमी है। प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञों की भी 72.2% कमी पाई गई है।
2. डिजिटल विभाजन:
कंप्यूटर और इंटरनेट पहुंच: ग्रामीण भारत में केवल 4% परिवारों के पास कंप्यूटर है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा 23% है। इंटरनेट की पहुंच ग्रामीण क्षेत्रों में 15% और शहरी क्षेत्रों में 42% है।
3. शिक्षा सुविधाएं:
प्राथमिक विद्यालय की निकटता: ग्रामीण क्षेत्रों में 92.7% परिवारों के लिए प्राथमिक विद्यालय 1 किलोमीटर के भीतर है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा 87.2% है।
माध्यमिक विद्यालय की पहुंच: ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 38% छात्रों को माध्यमिक विद्यालय की सुविधा मिलती है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा 70% है।
4. आर्थिक असमानता:
औसत मासिक उपभोक्ता व्यय (एमपीसीई): 2011-12 में, ग्रामीण भारत में प्रति व्यक्ति औसत मासिक उपभोक्ता व्यय 1,430 रुपये था, जबकि शहरी भारत में यह 2,630 रुपये था, जो 84% का अंतर दर्शाता है।
5. संपत्ति वितरण:
भूमि स्वामित्व: ग्रामीण क्षेत्रों में 69.2% लोगों के पास भूमि है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा 49.4% है।
6. शहरी बुनियादी ढांचे की आवश्यकताएं:
आवश्यक निवेश: विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत को अगले 15 वर्षों में शहरी बुनियादी ढांचे में 840 बिलियन डॉलर के निवेश की आवश्यकता होगी, जो प्रति वर्ष औसतन 55 बिलियन डॉलर है, ताकि तेजी से बढ़ती शहरी आबादी की जरूरतों को पूरा किया जा सके।
इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि भारत में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण अंतर हैं, जो समग्र विकास के लिए एक बड़ी चुनौती प्रस्तुत करते हैं।