गाँव की याद में ग्रामाीण विकास के लिए समर्पित !
गाँव की याद में ग्रामाीण विकास के लिए समर्पित !
भारत हमेशा से योग और आयुर्वेद की भूमि रहा है। लेकिन आधुनिक समय में इन्हें जन-जन तक पहुँचाने का श्रेय योग गुरु बाबा रामदेव को जाता है। उन्होंने न केवल योग को लोकप्रिय बनाया बल्कि आयुर्वेद और स्वदेशी आंदोलन को भी नई दिशा दी। इस लेख में हम जानेंगे बाबा रामदेव का जीवन, उनकी शिक्षाएँ, संस्था पतंजलि योगपीठ और उनकी वैश्विक पहचान के बारे में हैं।
बाबा रामदेव का जन्म 25 दिसंबर 1965 को हरियाणा के अली सैयदपुर गाँव में हुआ। उनका असली नाम रामकृष्ण यादव था। गरीबी में पले-बढ़े रामकृष्ण बचपन से ही धर्म, अध्यात्म और योग की ओर झुकाव रखते थे। उन्होंने साधारण स्कूल से शिक्षा प्राप्त की, लेकिन उनका मन वेद, आयुर्वेद और ध्यान में रमता था। वे मानते थे कि प्रकृति और योग ही जीवन को स्वस्थ रखने का सबसे बड़ा साधन है।
संन्यास और आध्यात्मिक जीवन
युवा अवस्था में रामकृष्ण ने संन्यास का मार्ग अपनाया और उनका नाम बदलकर स्वामी रामदेव रखा गया। उन्होंने अपना जीवन योग और आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार में समर्पित कर दिया।
संन्यास लेने के बाद उन्होंने कठोर तपस्या, योगाभ्यास और ध्यान का अभ्यास किया। इसी दौरान उन्होंने यह निश्चय किया कि योग को केवल साधुओं तक सीमित नहीं रहने देंगे, बल्कि इसे आम आदमी तक पहुँचाएँगे।
1990 के दशक में बाबा रामदेव ने गाँव-गाँव जाकर योग शिविर लगाने शुरू किए। उनकी सरल शैली, प्राणायाम और आसनों की आसान व्याख्या ने लोगों को गहराई से प्रभावित किया। जल्द ही उन्होंने टीवी चैनलों पर योग कार्यक्रम शुरू किए। सुबह-सुबह उनके योग सत्र पूरे देश में प्रसारित होने लगे। लाखों लोग घर पर बैठकर योग सीखने लगे। यहीं से उन्हें योग गुरु के रूप में पहचान मिली।
2006 में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने मिलकर पतंजलि योगपीठ की स्थापना की। इसका उद्देश्य था – योग और आयुर्वेद को पुनर्जीवित करना और स्वास्थ्य के क्षेत्र में स्वदेशी क्रांति लाना। पतंजलि समूह की उपलब्धियाँ:
योग शिक्षा और शोध केंद्र की स्थापना
आयुर्वेदिक दवाइयाँ और स्वास्थ्य उत्पाद
खाद्य पदार्थ, कॉस्मेटिक्स और दैनिक उपयोग की वस्तुएँ
लाखों युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराना
आज पतंजलि भारत की सबसे बड़ी स्वदेशी कंपनियों में से एक है और इसका नाम सीधे बाबा रामदेव से जुड़ा है।
योग गुरु बाबा रामदेव की शिक्षाओं का सार है –
योग और प्राणायाम से रोगों का समाधान
प्राकृतिक जीवनशैली से मानसिक और शारीरिक शांति
स्वदेशी अपनाओ, देश बचाओ
आयुर्वेद और योग से संपूर्ण स्वास्थ्य
उनकी विचारधारा केवल स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है, बल्कि वे आत्मनिर्भरता और राष्ट्रप्रेम पर भी बल देते हैं।
बाबा रामदेव केवल योग गुरु नहीं बल्कि समाज सुधारक भी हैं। वे:
भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलनों में सक्रिय रहे।
स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देकर विदेशी कंपनियों के विकल्प प्रस्तुत किए।
शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में कई पहल शुरू कीं।
बाबा रामदेव ने योग को विश्व स्तर पर पहुँचाया।
अमेरिका, ब्रिटेन, अफ्रीका और एशिया के कई देशों में योग शिविर लगाए।
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की योग परंपरा का प्रतिनिधित्व किया।
करोड़ों अनुयायी आज उन्हें योग गुरु और प्रेरणा स्रोत मानते हैं।
आलोचना और चुनौतियाँ
बाबा रामदेव को आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा। लेकिन इन सबके बावजूद उनकी लोकप्रियता और योग के प्रति योगदान पर कोई असर नहीं पड़ा।
उनके व्यवसाय मॉडल पर सवाल उठे।
राजनीतिक बयानबाजी से विवाद भी हुए।
आज बाबा रामदेव योग, आयुर्वेद और स्वदेशी आंदोलन का चेहरा बन चुके हैं। वे हर सुबह लाखों लोगों को योग करवाते हैं और पतंजलि समूह के जरिए स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता का संदेश देते हैं। उनका जीवन सिखाता है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और निस्वार्थ सेवा से कोई भी व्यक्ति समाज और राष्ट्र दोनों को बदल सकता है।
योग गुरु बाबा रामदेव ने योग और आयुर्वेद को पुनर्जीवित कर पूरी दुनिया में भारत की पहचान बनाई। उनकी संस्था पतंजलि योगपीठ और पतंजलि आयुर्वेद आज स्वास्थ्य, रोजगार और आत्मनिर्भरता का पर्याय बन चुकी है। उनका जीवन हमें प्रेरित करता है कि योग केवल अभ्यास नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है।